सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल
सावली सुरतिया हातों में बाँसुरिया
और गुँघुराले बाल
सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल
वृन्दाबन की कुँज गलियन में
भागतो दौड़तो देख्यो
देख्यो री सखी
भागतो दौड़तो देख्यो
जंगल बिच में गाय चराबत
बाध्यौ कालो शाल
सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल
लुकतो छुपतो पनघट ऊपर
सबकी मटकीया फोड़े
फोड़े रे सखी सबकी मटकिया फोड़े
घर घर जावतो माखन चुरावतो
प्यारो यशोदा रो लाल
सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल
म्हारे सागे नटखट कन्हैया
लुक मिचनी खेले सखी री
वो तो
लुक मिचनी खेले
जद मन्ने पकड्यो कृश्न कन्हाई
मैं तो हो गयी नह्याल
सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल