के सबके द्वारं छोडके गयो तिहारो द्वार
हे बृषभानु की लाड़ली नेत मेरी और निहारश्री राधे बरसाने वारी तेरो पुजारी हे गिरधारी
चापत चरण करत नित सेवा
बिन दर्शन के होये न करेबा ना होत करेबा
तेरो ही हैं आज्ञाकारी
तेरा पुजारी हे गिरधारी
राधा राधा
श्री राधे बरसाने वारी तेरो पुजारी हे गिरधारी
तेरा पुजारी हे गिरधारी
राधा राधा
श्री राधे बरसाने वारी तेरो पुजारी हे गिरधारी
मानसरोबर जायेके बैठी, जायेके बैठी
कान्हा सों रिसियाके बैठी, रिसियाके बैठी
कान्हा सों ... तुम मान करो। ... मैं मनाया करूँ
तुम रूठ जायो। ... तो मैं बहलाया करूँ
कान्हा सों रिसियाके बैठी, रिसियाके बैठी
कान्हा सों रिसियाके बैठी, रिसियाके बैठी
स्वामी श्री ... स्वामी हरिदास जहाँ वे बलिहारी
तेरा पुजारी हे गिरधारी
राधा राधा
श्री राधे बरसाने वारी तेरो पुजारी हे गिरधारी
राधा राधा
श्री राधे बरसाने वारी तेरो पुजारी हे गिरधारी
गहेवर वन में रास रचाए, इक रास रचाए
रुठे राधा श्याम मनावें, श्याम मनावें
ये पागल के मन में सुख भारी
तेरा पुजारी हे गिरधारी
राधा राधा
श्री राधे बरसाने वारी तेरो पुजारी हे गिरधारी
तेरा पुजारी हे गिरधारी
राधा राधा
श्री राधे बरसाने वारी तेरो पुजारी हे गिरधारी