Thursday, May 24, 2018

बिनती सुनिए नाथ हमारी Binati Suniye Naath Hamari

प्रीतम बसे पहाड़ में,
मैं यमुना के तीर,
अब तो मिलना मुश्किल है,
पाँव पड़ी हे जंजीर |
प्रीतम प्रीत लगाये के,
दूर देश मत जाये,
बसों हमारी नगरी में,
हम मांगे तुम खाये |


गोपाल गोकुल बल्लवी 
प्रिय गोप गोसुत बल्लवहम 
चरणार बृन्द  महम भजे 
भजनीय सुर मुनि दुर्लभम 

बिनती सुनिए नाथ हमारी,
हृदयेश्वर हरी हृदय बिहारी,
हृदयेश्वर हरी हृदय बिहारी,
मोर मुकुट पीताम्बर धारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी | 


जनम जनम की लगी लगन है,
साक्षी तारौ भरा गगन है,
गिन गिन स्वाश आस कहती है,
आयेंगे श्री कृष्ण मुरारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी,

हृदयेश्वर हरी हृदय बिहारी,
हृदयेश्वर हरी हृदय बिहारी,
मोर मुकुट पीताम्बर धारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी |  


सतत प्रतिक्ष्या अपलक लोचन,
हे भव बाधा बिपति बिमोचन,
स्वागत का अधिकार दीजिये,
सरणागत है नयन पुजारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी,

हृदयेश्वर हरी हृदय बिहारी,
हृदयेश्वर हरी हृदय बिहारी,
मोर मुकुट पीताम्बर धारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी | 


और कहूं क्या अन्तर्यामी,
तन मन धन प्राणो के स्वामी,
करुणाकर आकर ये कहिये,
स्वीकारी बिनती स्वीकारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी,

हृदयेश्वर हरी हृदय बिहारी,
हृदयेश्वर हरी हृदय बिहारी,
मोर मुकुट पीताम्बर धारी,
बिनती सुनिए नाथ हमारी |