राधे किशोरी दया करो
श्यामा लाड़ली दया करो
हमसे दीन न कोई जग में , बान दया की तनक ढरो
सदा ढरी दीनन पै श्यामा , यह बिश्वाश जु मनहिं खरो
बिषम बिषय बिष ज्वाल माल में , विविध ताप तापनि जु जरो
दीनन हित अवतरि जगत में , दीन पालनी हिय विचरो
दास तुम्हारो आस और की , हरो वीमुख गति कौ झगरो
कबहुँ कृपा करोगी श्यामा , यही आस लिए द्वार परयो
No comments:
Post a Comment